संत पापा फ्राँसिस के परमाध्यक्षीय पद की 10वीं वर्षगांठ पर:एक यहूदी परिप्रेक्ष्य - वाटिकन न्यूज़

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संत पापा फ्राँसिस के परमाध्यक्षीय पद की 10वीं वर्षगांठ पर:एक यहूदी परिप्रेक्ष्य - वाटिकन न्यूज़"


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रब्बी अब्राहम स्कोर्का, संत पापा के लंबे समय के दोस्त और उनके साथ "ऑन हेवन एंड अर्थ" (स्वर्ग और पृथ्वी पर) पुस्तक के सह-लेखक हैं, संत पापा फ्राँसिस के परमाध्यक्षीय पद की 10 वीं


वर्षगांठ के लिए अपने विचार और शुभकामनाएं साझा करते हैं। (रब्बी अब्राहम स्कोर्का द्वारा) माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी वाटिकन सिटी, सोमवार 13 मार्च 2023 (वाटिकन न्यूज) : ब्यूनस आयर्स के


महाधर्माध्यक्ष के रूप में, कार्डिनल जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो का अपने शहर के यहूदियों के साथ बहुत गहरा रिश्ता था। उन्होंने रब्बियों, समुदाय के नेताओं और व्यक्तियों के साथ खुले संवादों को शुरु


की और कई मित्रता विकसित कीं जो समय के साथ काफी गहरी हो गईं। मैं उन लोगों में से हूँ जो उनके साथ इस तरह की मित्रता का आनंद लेते हुए गौरव महसूस करते हैं, जो हमारी नियमित अंतरधार्मिक बातचीत पर


आधारित है। हमने साथ मिलकर अपने संवादों (स्वर्ग और पृथ्वी पर) की एक पुस्तक लिखी और महाधर्मप्रांत टेलीविजन चैनल के लिए इकतीस कार्यक्रम रिकॉर्ड किए। उन्होंने कई अलग-अलग स्थानीय आराधनालयों में


बात की, जिनमें मैं भी शामिल था, जहाँ उन्होंने सभाओं में गर्मजोशी और आध्यात्मिक रूप से प्रेरक संदेश दिए। विशेष रूप से 1994 में ब्यूनस आयर्स यहूदी सामुदायिक केंद्र की भयानक बमबारी के बाद, वे


आश्वासन और समर्थन का एक निरंतर स्रोत थे। विशेष रूप से मुझे व्यक्तिगत रूप से उनका अनुरोध दिल को छू दिया, कि मैं उनकी अधिकृत जीवनी के लिए प्रस्तावना तैयार करुँ। इन सभी बातों ने यहूदियों और


उनके सामुदायिक संस्थानों के साथ संबंध और दोस्ती बनाने के लिए कार्डिनल बेर्गोग्लियो के ईमानदार समर्पण की गवाही दी। संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें के अभूतपूर्व इस्तीफे के बाद और मेरे मित्र के


लैटिन अमेरिका से पहले पोप के रूप में ऐतिहासिक चुनाव के बाद, हर कोई जिसने "दुनिया के अंतिम छोर से आने वाले" इस कार्डिनल के बारे में सुना, (जैसा कि उसने कहा था) उसके लिए यहूदी लोगों


के साथ अनुभव कितना महत्वपूर्ण था। 2013 में परमाध्यक्ष बनने के बाद, उन्होंने ईमेल और टेलीफोन कॉल के माध्यम से अपने यहूदी मित्रों से संपर्क बनाए रखा। मेरे साथ और दूसरों के साथ, वे हमारे


स्वास्थ्य के बारे में और हमारे परिवारों के कार्यों के बारे में पूछताछ करते हुए अपना व्यक्तिगत स्नेह व्यक्त करना जारी रखते हैं। क्या काथलिक और यहूदियों के बीच संबंधों के इतिहास में ऐसा पहले


कभी हुआ है? अपने परमाध्यक्ष बनने के एक साल से भी कम समय में, उन्होंने प्रेरितिक प्रबोधन एवांजली गौदियुम जारी किया। यह काथलिक कलीसिया की स्थिति और दुनिया का एक व्यापक अवलोकन था, जब उन्होंने


अपना परमाध्यक्षीय पद शुरू किया। अंतर्धार्मिक संबंधों पर इस प्रबोधन में 1965 के दूसरी वाटिकन महासभा की घोषणा ‘नोस्त्रा एताए’ के बाद से विकास को आधिकारिक रूप से अभिव्यक्त किया। उन्होंने आग्रह


किया कि लोगों और धार्मिक परंपराओं के बीच संवाद एक प्राथमिकता होनी चाहिए, उन्होंने यहूदी लोगों के साथ कलीसिया के संबंधों के बारे में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि व्यक्त की। इनमें यादगार वाक्य शामिल


हैं कि "इस्राएल के बच्चों के साथ बातचीत और मित्रता येसु के शिष्यों के जीवन का हिस्सा हैं" और यह कि "ईश्वर पुराने व्यवस्थान के लोगों के बीच काम करना जारी रखते हैं और ज्ञान के


खजाने को सामने लाने के लिए जो उनके वचन के साथ मुलाकात से प्रवाहित होते हैं।” यह बताता है कि संत पापा फ्राँसिस के लिए काथलिक और यहूदियों के बीच संवाद इतना महत्वपूर्ण क्यों है: हम अपने पवित्र


ग्रंथों में ईश्वर के ज्ञान का एक साथ सामना कर सकते हैं जो किसी अन्य धार्मिक परंपराओं के बीच बातचीत में समानांतर नहीं हैं। 2014 में, संत पापा फ्राँसिस ने पवित्र भूमि की तीर्थ यात्रा की और


पश्चिमी दीवार पर प्रार्थना की। 2016 में, ऑशविट्ज़-बिरकेनौ मृत्यु शिविर में, उस जगह पर आतंक को व्यक्त करने के लिए उन्हें कोई उपयुक्त शब्द नहीं मिला, यात्रा से पहले ईश्वर से उन्हें विलाप करने


की कृपा देने के लिए कहा। मुझे इन दोनों यादगार यात्राओं का साक्षी बनने का सौभाग्य मिला। येरुसालेम में रहते हुए, संत पापा फ्राँसिस राजनीतिक ज़ायोनीवाद के जनक थियोडोर हर्ज़ल की कब्र पर फूलों का


गुलदस्ता रखने वाले पहले परमाध्यक्ष थे, जिससे उस आंदोलन का सम्मान हुआ जिसने अपनी प्राचीन मातृभूमि में यहूदी संस्कृति को फिर से बनाया। मानवाधिकारों को लेकर हमेशा सतर्क रहने वाले संत पापा ने


उस दीवार पर हाथ रखा था जो इजरायल को फिलिस्तीन से अलग करती है। मैं इसे महज एक राजनीतिक कृत्य से ज्यादा देखता हूँ। यह इजराइलियों और फिलीस्तीनियों को शांति का आशीर्वाद देने, अलगाव और नफरत की


सभी दीवारों को हटाने और उन्हें संवाद और आपसी समझ के रिश्तों से बदलने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने की प्रार्थना थी। धीशेह शरणार्थी शिविर में एक युवा फिलिस्तीनी ने अपने लोगों की हताशा व्यक्त


की, संत पापा ने दूरदर्शी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम अतीत के शातिर बंधनों में बंधे नहीं रह सकते, हमें अपने संदर्भ के ढांचे को बदलना होगा और वह रास्ता खोजें जो सभी को गरिमा के साथ विकसित


करने की अनुमति देता है।” वाटिकन गार्डन में शीघ्र ही शांति के लिए बैठक इसे व्यक्त करने के लिए लघु रूप में एक प्रयास था। यह प्रतीकात्मक रूप से राष्ट्रपति पेरेस और राष्ट्रपति अब्बास को एक साथ


लाया, जो कि प्राधिधर्माध्यक्ष बार्थोलोम प्रथम के साथ, शांति का एक प्रतीकात्मक जैतून का पेड़ लगाने के लिए, जो कि ईश्वर की मदद से भविष्य में फल देगा। बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि जब तक मैं


उन्हें जानता हूँ, संत पापा फ्राँसिस ने यहूदियों पर सभी मौखिक और शारीरिक हमलों की कड़ी निंदा की है, क्योंकि वे यहूदी हैं। यह संदेश दुनिया भर के यहूदियों के लिए वर्तमान समय में यहूदी विरोधी


अपील और बढ़ते जानलेवा हिंसा के विरोध में विशेष रूप से सुकून देता है। संबंधित रूप से, संत पापा पियुस बारहवें  के परमाध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान वाटिकन अभिलेखागार का 2020 में उद्घाटन संत पापा


फ्राँसिस द्वारा एक और महत्वपूर्ण कार्य था। "आपको सच्चाई जाननी है" एक ऐसा सिद्धांत है जिसे उन्होंने कई मौकों पर दोहराया है। वे अच्छी तरह जानते हैं कि सच्चाई के प्रति ऐसी प्रतिबद्धता


के बिना कोई भी रिश्ता सतहीपन से परे गहरा नहीं हो सकता। हालाँकि, यहूदी समुदाय के साथ संत पापा फ्राँसिस की बातचीत की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यहूदियों के लिए निर्विवाद रूप से सच्चा स्नेह है


जिसे वे लगातार प्रदर्शित करते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि अधिकांश यहूदी उसके बारे में ऐसा ही महसूस करते हैं। आने वाली सभी पीढ़ियों के लिए आपसी स्नेह काथलिक और यहूदी संबंधों का आदर्श हो! * जॉर्ज


टाउन विश्वविद्यालय, वाशिंगटन डी.सी.


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