रूस में 5000 km अंदर घुसकर ड्रोन्स ने मचाई तबाही, कैसे भारत के लिए भी है सीखने वाली एक बात

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रूस में 5000 km अंदर घुसकर ड्रोन्स ने मचाई तबाही, कैसे भारत के लिए भी है सीखने वाली एक बात"


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यूक्रेन ने रूस के अंदर ड्रोन पहुंचा दिए और सीमा से 5000 किलोमीटर भीतर तक जाकर मार की। इस हमले में यूक्रेन ने रूस के कई एयरबेस तबाह कर दिए। यूक्रेन के ये ड्रोन हमले इसलिए महत्वपूर्ण हैं


क्योंकि उसने रूस के अंदर घुसकर मार की। यह हमला फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन्स यानी FPV के जरिए किए गए। Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 3 June 2025 11:05 AM Share Follow Us on __ रूस


से यूक्रेन का युद्ध बीते ढाई सालों से चल रहा है। इस अवधि में यूक्रेन को रूस के हाथों में बड़ी मार झेलनी पड़ी है। लेकिन पिछले दिनों उसने बाजी तब पलट दी, जब किसी तरह उसने रूस के अंदर ड्रोन


पहुंचा दिए और सीमा से 5000 किलोमीटर भीतर तक जाकर मार की। इस हमले में यूक्रेन ने रूस के कई एयरबेस तबाह कर दिए। यूक्रेन के ये ड्रोन हमले इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उसने रूस के अंदर घुसकर मार


की और बिना किसी दृश्य दुश्मन के ही रूस को सबक भी सिखा दियाठ। यह हमला फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन्स यानी FPV के जरिए किए गए। इन ड्रोन्स को ट्रकों के माध्यम से रूस के अंदर भेजा गया और फिर


इन्होंने धमाके कर दिए। इन ड्रोन हमलों में रूस को बड़ा नुकसान पहुंचा है और इस बात को पुतिन प्रशासन ने भी स्वीकार किया है। इस ड्रोन हमले ने साबित किया है कि अब वारफेयर के तरीके, तकनीक और


प्रकृति में बदलाव आ गया है। भारत जैसे सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील देश के लिए भी ड्रोन वारफेयर एक गंभीर चुनौती है। खासतौर पर जम्मू-कश्मीर जैसे इलाके में तो यह महत्वपूर्ण है। यहां अकसर


पाकिस्तान की ओर से ड्रोन अटैक की कोशिशें होती रही हैं। भारत की बात करें तो ड्रोन वारफेयर भी एक नई चुनौती के रूप में बीते करीब दो वर्षों में उभरा है। भारत में भी जम्मू से लेकर पंजाब तक के


क्षेत्र में पाकिस्तान से आने वाले ड्रोनों की संख्या तेजी से बढ़ी है। ड्रोन एक नई चुनौती हैं, जो जमीन पर निगरानी के बाद अब आसमान पर भी पैनी नजर बनाए रखने को विवश करते हैं। बिना किसी दुश्मन के


एक डिवाइस कैसे पूरी सुरक्षा प्रणाली में सेंध लगा सकती है, इसका अध्ययन किया जाना जरूरी है। इस संबंध में लेखिका मेडिया बेंजामिन की पुस्तक 'ड्रोन वारफेयर: किलिंग बाय रिमोट कंट्रोल'


में विस्तार से ब्योरा दिया गया है। यह पुस्तक ड्रोन वारफेयर की प्रकृति के बारे में बताने वाली दुनिया की पहली किताब है। दरअसल बीते कुछ सालों में भारत ने ड्रोन हमलों से निपटने के लिए बड़े


पैमाने पर निवेश किया है। भारत की तरफ से ड्रोन अटैक को रोकने वाली तकनीक पर निवेश हुआ है। ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में जब पाकिस्तान ने ड्रोन अटैक की कोशिश की तो भारत ने सभी हमलों को आसमान में ही


रोक दिया। फिर भी जानकार मानते हैं कि ड्रोन अटैक को लेकर और सावधानी की जरूरत है। इसके अलावा ड्रोन अटैक से डिफेंस की तकनीक को मजबूत करने के साथ ही अटैक पर भी फोकस करना होगा। बता दें कि ऑपरेशन


सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने कश्मीर से लेकर पंजाब तक में ड्रोन अटैक की कोशिशें की थीं। ये भी पढ़ें:तनाव के बीच पाकिस्तान ने छेड़ा हाइब्रिड वारफेयर, भारत ने नाकाम किए लगातार 4 अटैक ये भी


पढ़ें:क्या है हाइब्रिड और ग्रे वारफेयर, जिस पर सेना को अलर्ट कर रहे PM और रक्षा मंत्री ये भी पढ़ें:रूस और यूक्रेन ने दी जंग की नई तकनीक, कैसे ड्रोन वारफेयर बना ‘भविष्य का हथियार’ ड्रोन


वारफेयर: किलिंग बाय रिमोट कंट्रोल मेडिया बेंजामिन की यह पुस्तक ड्रोन वारफेयर पर अपनी तरह की पहली रचना है। उन्होंने पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में लंबी यात्रा के बाद यह पुस्तक लिखी


है। भले ही इसमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान की पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए बात की गई है, लेकिन इससे हम ड्रोन स्ट्राइक के खतरों के बारे में अवश्य समझ सकते हैं। बेंजामिन लिखती हैं कि ड्रोन


वारफेयर असल में युद्धों की दुनिया में रोबोटिक्स की शुरुआत है। यह पुस्तक बताती है कि ड्रोन तकनीक कितना बड़ा खतरा हो सकती है और इसका सही इस्तेमाल करने में सक्षम हो तो कोई देश कैसे विरोधी से


निपट सकता है। इसके अतिरिक्त किन देशों ने इस तकनीक में महारत हासिल की है और कैसे इनका इस्तेमाल किया जा रहा है, इस पर भी यह पुस्तक गंभीरता से प्रकाश डालती है।


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