क्या है दक्षिण अफ्रीका का भूमि कानून? श्वेत किसानों का नहीं हो रहा नरसंहार, ट्रंप ने दिखाया फर्जी वीडियो

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दक्षिण अफ्रीका का भूमि सुधार कानून ऐतिहासिक असमानताओं को दूर करने का प्रयास है, लेकिन ट्रंप ने श्वेत किसानों के नरसंहार का गलत दावा कर विवाद खड़ा किया। पूरा मामला समझिए। दक्षिण अफ्रीका के


राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में हुई एक बैठक के दौरान तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई। ट्रंप ने इस बैठक में दक्षिण अफ्रीका में श्वेत


अफ्रीकी किसानों के खिलाफ कथित "नरसंहार" का दावा करते हुए एक भ्रामक वीडियो और कुछ समाचार लेख दिखाए। ट्रंप ने कहा, ‘‘लोग अपनी सुरक्षा के लिए दक्षिण अफ्रीका से भाग रहे हैं। उनकी जमीन


हड़पी जा रही है और कई मामलों में उन्हें मार दिया जा रहा है।’’ रामाफोसा ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि यह दक्षिण अफ्रीकी सरकार की नीति नहीं है और हिंसा सभी नागरिकों के लिए एक सामान्य


समस्या है, न कि केवल श्वेत समुदाय के लिए। रामफोसा ने ट्रंप से कहा, ‘‘हम इसका पूरी तरह से विरोध करते हैं।’’ इस विवाद का केंद्र दक्षिण अफ्रीका का नया भूमि सुधार कानून है। आइए विस्तार से समझते


हैं क्या है एक्सप्रोप्रिएशन बिल। भूमि अधिग्रहण कानून क्या है? जनवरी 2025 में राष्ट्रपति रामफोसा द्वारा साइन किए गए इस के तहत सरकार सार्वजनिक हित में किसी भी व्यक्ति की भूमि अधिग्रहण कर सकती


है, फिर चाहे वह श्वेत हो या अश्वेत। इसमें अवसंरचना परियोजनाएं, सार्वजनिक सेवाओं का विस्तार, पर्यावरण संरक्षण और ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों को भूमि प्रदान करने जैसे उद्देश्य शामिल हैं।


कानून के अनुसार, उचित मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन कुछ मामलों में बिना मुआवजे के भूमि अधिग्रहण की अनुमति भी है। यह कानून 1975 के पुराने अधिग्रहण अधिनियम की जगह लेता है, जिसे रंगभेदी शासन के


दौरान तैयार किया गया था और जिसमें मुआवजे को लेकर अस्पष्टता थी। हालांकि अफ्रीकी समूहों और डेमोक्रेटिक एलायंस (DA) पार्टी ने चिंता जताई है कि यह कानून श्वेत किसानों की भूमि जबरन छीने जाने का


रास्ता खोल सकता है और इससे संपत्ति के मूल्य में भारी गिरावट आ सकती है। गौरतलब है कि दक्षिण अफ्रीका की लगभग 70% जमीन श्वेत नागरिकों के पास है, जबकि वे केवल 7% आबादी हैं। वहीं, देश की अश्वेत


आबादी का एक बड़ा हिस्सा अब भी गरीबी में जीवन बिता रहा है और उनके पास भूमि का सीमित या कोई स्वामित्व नहीं है। रामफोसा सरकार का कहना है कि यह कानून भूमि के न्यायपूर्ण और समान वितरण का मार्ग


प्रशस्त करेगा और महिलाओं, विकलांगों और ऐतिहासिक रूप से वंचित समूहों को सशक्त करेगा। ट्रंप और उनके सहयोगियों की प्रतिक्रिया राष्ट्रपति ट्रंप ने फरवरी में दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली


अमेरिकी आर्थिक सहायता रोक दी। उन्होंने आरोप लगाया कि दक्षिण अफ्रीका ने "नस्लीय भेदभाव" करते हुए श्वेत अफ्रीकियों की भूमि जब्त करने के लिए यह कानून बनाया है। ट्रंप ने यह भी कहा कि


दक्षिण अफ्रीका द्वारा दिसंबर 2023 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में गाजा पर इजरायल के खिलाफ "नरसंहार" का मुकदमा दायर करना अमेरिका की विदेश नीति के खिलाफ है और इससे राष्ट्रीय


सुरक्षा को खतरा है। दक्षिण अफ्रीका के HIV कार्यक्रम को मिलने वाली अमेरिकी सहायता PEPFAR पहले ही रोक दी गई थी जब ट्रंप ने जनवरी में वैश्विक विदेशी सहायता पर विराम लगाया था। दक्षिण अफ्रीका में


जन्मे ट्रंप समर्थक और उद्योगपति एलन मस्क ने भी भूमि कानून की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे "नस्लीय स्वामित्व कानून" बताया और आरोप लगाया कि इसी कारण उनका सैटेलाइट इंटरनेट


प्रोजेक्ट स्टरलिंक दक्षिण अफ्रीका में विफल हुआ। और भी हैं विवाद ट्रंप और उनके सहयोगियों ने यह भी दावा किया है कि श्वेत किसानों पर हमले बढ़ रहे हैं और यह एक "नरसंहार" जैसा है। लेकिन


दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि देश में अपराध दर अधिक है और इसमें नस्लीय भेदभाव नहीं है। हमलों के शिकार श्वेत और अश्वेत दोनों किसान हो सकते हैं। सरकार के अनुसार,


फार्म हमले अक्सर दूर-दराज के स्थानों की वजह से होते हैं। गाजा मुद्दा भी दोनों देशों के बीच एक और विवाद का कारण बन गया है। दक्षिण अफ्रीका द्वारा ICJ में इजरायल के खिलाफ मुकदमा दायर करने पर


अमेरिका और इजरायल ने नाराजगी जताई है। ट्रंप-रामाफोसा बैठक में क्या हुआ? रामाफोसा ने इस बैठक का उद्देश्य अमेरिका-दक्षिण अफ्रीका संबंधों को "रीसेट" करना और व्यापार व निवेश पर चर्चा


करना बताया था। उन्होंने अपने साथ दक्षिण अफ्रीका के दो प्रसिद्ध गोल्फर अर्नी एल्स और रेटिफ गूसन, लक्जरी सामान के उद्यमी जोहान रूपर्ट, और कृषि मंत्री जॉन स्टीनहुइसेन को शामिल किया था। रामाफोसा


ने ट्रंप को दक्षिण अफ्रीका के गोल्फ कोर्स पर आधारित एक पुस्तक भी भेंट की। लेकिन बैठक शुरू होने के कुछ समय बाद ही माहौल तनावपूर्ण हो गया। ट्रंप ने ओवल ऑफिस में रोशनी कम करने का आदेश दिया और


एक वीडियो चलवाया, जिसमें दक्षिण अफ्रीका के विपक्षी नेता जूलियस मालेमा को "किल द बोअर, किल द फार्मर" (अफ्रीकनर और किसानों को मारो) गाते हुए दिखाया गया। वीडियो में श्वेत क्रॉस के एक


मैदान को भी दिखाया गया, जिसे ट्रंप ने "हजारों श्वेत किसानों की कब्रें" बताया। हालांकि, बाद में यह स्पष्ट हुआ कि ये क्रॉस कब्रें नहीं, बल्कि एक विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे। ट्रंप ने


इसके साथ ही श्वेत किसानों पर हमलों से संबंधित कथित समाचार लेखों का ढेर दिखाया और दावा किया कि दक्षिण अफ्रीका में श्वेत किसानों का "नरसंहार" हो रहा है। रामाफोसा ने शांति से जवाब


दिया कि ये दावे गलत हैं और हिंसा दक्षिण अफ्रीका में सभी समुदायों के लिए एक सामान्य समस्या है। उन्होंने कहा कि मालेमा की टिप्पणियां सरकार की नीति नहीं दर्शातीं, बल्कि वे एक कट्टरपंथी विपक्षी


दल की हैं। रामाफोसा ने यह भी उल्लेख किया कि बैठक में मौजूद तीन श्वेत दक्षिण अफ्रीकियों (एल्स, गूसन और रूपर्ट) की उपस्थिति ही इस बात का प्रमाण है कि कोई नरसंहार नहीं हो रहा। ये भी


पढ़ें:जेलेंस्की के बाद एक और राष्ट्रपति से भिड़े ट्रंप, बीच बैठक में अचानक चलवाए VIDEO ये भी पढ़ें:ट्रंप-रामाफोसा में ठनी क्यों? US के आरोप पर साउथ अफ्रीका ने क्या दी सफाई "श्वेत


नरसंहार" का दावा: सच्चाई क्या है? ट्रंप का "श्वेत नरसंहार" का दावा एक पुरानी साजिश सिद्धांत पर आधारित है, जिसे "श्वेत प्रतिस्थापन सिद्धांत" के साथ जोड़ा जाता है। यह


सिद्धांत दावा करता है कि श्वेत आबादी को जानबूझकर उनकी राजनीतिक शक्ति कम करने के लिए निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि, दक्षिण अफ्रीका की पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि श्वेत नागरिकों की हत्या की


दर अन्य समुदायों की तुलना में अधिक नहीं है। दक्षिण अफ्रीका में अपराध की दर सामान्य रूप से उच्च है, लेकिन अधिकांश पीड़ित अश्वेत नागरिक हैं। ट्रंप ने यह भी दावा किया कि श्वेत किसान दक्षिण


अफ्रीका से "हिंसा और नस्लवादी कानूनों" के कारण भाग रहे हैं और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में शरण ले रहे हैं। लेकिन दक्षिण अफ्रीका के कृषि मंत्री जॉन स्टीनहुइसेन, जो स्वयं श्वेत हैं, ने


कहा कि अधिकांश किसान दक्षिण अफ्रीका में ही रहना चाहते हैं और देश को आर्थिक विकास की जरूरत है, न कि भ्रामक दावों की। ट्रंप ने दिखाया फर्जी वीडियो ट्रंप ने झूठे दावों को बढ़ावा दिया कि श्वेत


अफ्रीकी नरसंहार के शिकार हुए हैं। यहां तक कि उन्होंने क्रॉस और मिट्टी के टीलों का वीडियो भी दिखाया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि ये मारे गए किसानों की 1,000 से ज्यादा कब्रे हैं। हालांकि ये


टीले वास्तव में हिंसा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे, न कि वास्तविक कब्रें। ट्रंप की नीतियां और तनाव इस बैठक से पहले, ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कई कदम उठाए थे, जो दोनों देशों


के बीच तनाव का कारण बने। फरवरी 2025 में, ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता को समाप्त कर दिया और श्वेत अफ्रीकियों को शरणार्थी के रूप में अमेरिका में स्वागत किया। पिछले


सप्ताह, 59 श्वेत दक्षिण अफ्रीकियों को शरणार्थी का दर्जा दिया गया, जिसे रामाफोसा ने "कायरता" करार देते हुए आलोचना की।


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