‘पृथ्वी पर सबसे भूखा स्थान’ गाजा, यहां के सभी लोगों पर अकाल का खतरा; un की बड़ी चेतावनी

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‘पृथ्वी पर सबसे भूखा स्थान’ गाजा, यहां के सभी लोगों पर अकाल का खतरा; un की बड़ी चेतावनी"


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संयुक्त राष्ट्र ने गाजा को पृथ्वी का सबसे भूखा स्थान घोषित किया, जहां 21 लाख लोग अकाल के खतरे में हैं। इजरायल की नाकाबंदी और सैन्य कार्रवाइयों ने मानवीय संकट को और गहरा कर दिया है। संयुक्त


राष्ट्र ने गाजा पट्टी को "पृथ्वी का सबसे भूखा स्थान" घोषित किया है, जहां की पूरी आबादी (लगभग 24 लाख लोग) अकाल के गंभीर खतरे का सामना कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के


समन्वय कार्यालय (OCHA) के प्रवक्ता जेन्स लार्के ने शुक्रवार को कहा, "गाजा एकमात्र ऐसा परिभाषित क्षेत्र है, चाहे वह देश हो या किसी देश के भीतर का क्षेत्र, जहां 100 प्रतिशत आबादी अकाल के


जोखिम में है।" यह चेतावनी तब आई है जब इजरायल द्वारा गाजा में मानवीय सहायता की आपूर्ति को बड़े पैमाने पर रोक दिया गया है और सैन्य हमलों के कारण स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। मानवीय


संकट की गंभीर स्थिति संयुक्त राष्ट्र और अन्य सहायता एजेंसियों ने बताया कि गाजा में 11 सप्ताह की पूर्ण नाकाबंदी के बाद, हाल ही में इजरायल ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण सीमित मात्रा में सहायता


की अनुमति दी है। हालांकि, यह सहायता "समुद्र में एक बूंद" के समान है। संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक सिग्रिड काग ने सुरक्षा परिषद को बताया कि इजरायल द्वारा अनुमत सहायता की मात्रा


"डूबते जहाज के बाद एक लाइफबोट" जैसी है, जो गाजा की भयावह जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है। OCHA के अनुसार, गाजा में कम से कम 20 प्रतिशत लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं, और


30 प्रतिशत बच्चों में तीव्र कुपोषण देखा जा रहा है। प्रतिदिन 10,000 में से कम से कम चार बच्चे भुखमरी या कुपोषण से संबंधित बीमारियों के कारण मर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत माइकल


फाखरी ने कहा, "यह कहना अब सही है कि गाजा में अकाल की स्थिति है।" लेर्के ने कहा, "हमारे पास जो सहायता अभियान है, उसे एक ऐसे परिचालन स्ट्रेटजैकेट में रखा जा रहा है, जो इसे न


केवल आज दुनिया में, बल्कि हाल के इतिहास में सबसे अधिक बाधित सहायता अभियानों में से एक बनाता है।" उन्होंने कहा कि करम अबू सलेम क्रॉसिंग के इजरायली पक्ष से प्रवेश करने के लिए स्वीकृत 900


सहायता ट्रकों में से गाजा में 600 से भी कम उतारे गए हैं। एक फिलिस्तीनी ने अल जजीरा को बताया, "मेरे पास आटा, तेल, चीनी, भोजन नहीं है। मैं फफूंद लगी रोटी इकट्ठा करता हूं और अपने बच्चों को


खिलाता हूं। मैं अपने बच्चों के लिए आटे का एक बैग लेना चाहता हूं। मैं खाना चाहता हूं। मुझे भूख लगी है।" सहायता वितरण में बाधाएं इजरायल ने हाल ही में 600 सहायता ट्रकों को गाजा में प्रवेश


की अनुमति दी, लेकिन इनमें से केवल कुछ ही ट्रक अपनी मंजिल तक पहुंच पाए हैं। लाएरके ने बताया कि सहायता वितरण "एक परिचालन बाधा" में फंस गया है, जो इसे "हाल के इतिहास में सबसे


बाधित सहायता अभियानों में से एक" बनाता है। ट्रकों को अक्सर भूखे लोगों की भीड़ द्वारा घेर लिया जाता है, जिससे वितरण और भी जटिल हो जाता है। पिछले हफ्ते, गाजा के मध्य क्षेत्र में संयुक्त


राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के एक गोदाम पर भूखे लोगों की भीड़ ने धावा बोल दिया, जिसमें कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। यह घटना गाजा में भोजन की भयंकर कमी को


दर्शाती है। एक अन्य विस्थापित फिलिस्तीनी अब्देल कादर रबी ने कहा कि उनके परिवार के पास खाने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने कहा, "आटा नहीं, खाना नहीं, रोटी नहीं, हमारे पास घर पर कुछ भी नहीं


है। हर बार जब मैं सहायता लेने जाता हूं, तो मैं एक डिब्बा लेकर जाता हूं और सैकड़ों लोग मेरे चारों ओर भीड़ लगा देते हैं। पहले, UNRWA मुझे संदेश भेजती थी, और मैं सहायता लेने जाता था। अब कुछ भी


नहीं है। अगर आप मजबूत हैं, तो आपको सहायता मिलती है। अगर आप मजबूत नहीं हैं, तो आप खाली हाथ लौटते हैं।" संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के प्रवक्ता एरी कानेको ने भी उस तरह की सहायता की


आलोचना की जिसे संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों को गाजा में लाने की अनुमति दी जा रही है। उन्होंने कहा, "इजरायली अधिकारियों ने हमें एक भी तैयार भोजन लाने की अनुमति नहीं दी है। केवल बेकरी के


लिए आटा ही अनुमति दी गई है। भले ही असीमित मात्रा में अनुमति दी जाए, जो कि नहीं दी गई है, यह किसी के लिए भी पूर्ण आहार नहीं होगा।" जीएचएफ सहायता प्राप्त करने वाले फिलिस्तीनियों ने कहा कि


उनके पैकेजों में चावल, आटा, डिब्बाबंद बीन्स, पास्ता, जैतून का तेल, बिस्कुट और चीनी शामिल थे। इजरायल की नाकाबंदी और सैन्य कार्रवाई इजरायल ने 2 मार्च से गाजा पर पूर्ण नाकाबंदी लागू की थी,


जिसके कारण भोजन, दवा और ईंधन की आपूर्ति पूरी तरह से ठप हो गई थी। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद, इजरायल ने पिछले हफ्ते कुछ सहायता ट्रकों को प्रवेश की अनुमति दी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र और सहायता


समूहों का कहना है कि यह मात्रा अपर्याप्त है। इजरायल के सैन्य हमलों ने भी स्थिति को और खराब किया है। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटों में कम से कम 79 लोग मारे गए और 211


घायल हुए। बुरेज शरणार्थी शिविर और जबालिया में हमलों में कई नागरिकों की मौत हुई, जिनमें एक किंडरगार्टन और एक घर पर हुए हमले शामिल हैं। ये भी पढ़ें:हमास से समझौते में 180 कंकाल और 125 कैदी


सौंपने की भी बात, कैसे राजी नेतन्याहू ये भी पढ़ें:गाजा के लिए UNSC में रोया पाक- फिलिस्तीनी कत्ल हो रहे, चुपचाप देख नहीं सकते बच्चों और बुजुर्गों पर असर यूनिसेफ ने बताया कि इस साल गाजा में


9,000 से अधिक बच्चों को कुपोषण के लिए इलाज मिला है, और विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले साल दसियों हजार और मामले सामने आ सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पिछले हफ्ते चेतावनी दी थी कि


गाजा में लोग पहले से ही भुखमरी का शिकार हो रहे हैं। पैरों में गोली लगने से घायल हुए लोगों की तलाश में सहायता की मांग करने वालों को इजरायल की सेना ने गोली मार दी, जिससे स्थिति और भी जटिल हो


गई है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, "जब गाजा को सहायता की बाढ़ की जरूरत है, तब इजरायल ने केवल एक चम्मच सहायता की अनुमति दी है।" संघर्ष विराम की उम्मीदें


धूमिल हाल ही में अमेरिका द्वारा प्रस्तावित एक संघर्ष विराम योजना पर हमास विचार कर रहा है, लेकिन उसने इसे इजरायल के पक्ष में "पक्षपातपूर्ण" बताया है। हमास का कहना है कि यह योजना


उनकी मुख्य मांगों को पूरा नहीं करती और इससे "हत्याएं और अकाल" जारी रह सकता है। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के अंडर-सेक्रेटरी-जनरल टॉम फ्लेचर ने बीबीसी को बताया कि गाजा में


"जबरन विस्थापन, भुखमरी, यातना और बड़े पैमाने पर मौतें" हो रही हैं। उन्होंने इसे युद्ध अपराध की श्रेणी में रखा और कहा कि यह मामला अंततः अदालतों और इतिहास द्वारा तय किया जाएगा।


ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा ने इजरायल को चेतावनी दी है कि यदि गाजा में मानवीय स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वे प्रतिबंध सहित "ठोस कार्रवाई" कर सकते हैं।


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