326 दिन बाद हत्यारोपी मनीषा की रिहाई का रास्ता हुआ साफ
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-कत्ल के केस के बाद अब फर्जी सिम के केस में भी मिली जमानत -जिलाजज ने बहस सुनने के बाद 50-50 हजार के बेल बांड जमानत मंजूर की -जेल के बाहर समाजिक संगठन मनीषा का करेंगे विरोध, आसान नहीं होगी
जेल के बाहर की जिन्दगी KANPUR : शहर के खौफनाक और हाईप्रोफाइल ज्योति हत्याकांड की सूत्रधार हत्यारोपी मनीषा की जेल से रिहाई का रास्ता भले ही साफ हो गया है। उसको कत्ल के केस के बाद फर्जी सिम के
मामले में भी बेल मिल गई है। जेल से छूटने का पैगाम मिलने से वो भले ही खुश है, लेकिन उसकी ये खुशी जेल के बाहर निकलते ही काफूर हो जाएगी। जेल के बाहर मनीषा के लिए जिन्दगी आसान नहीं है। उसके
घिनौने कृत्य से नाराज समाज ने उसका तिरस्कार कर दिया है। अब उसको जेल के बाहर इन सामाजिक संगठनों का सामना करना पड़ेगा। अब देखना है कि मनीषा किस तरह से समाज को फेस करेंगी 326 दिन बाद खुला रिहाई
का रास्ता ज्योति हत्याकांड में हत्यारोपी मनीषा गिरफ्तारी के बाद से जेल में है। उसे पुलिस ने 31 जुलाई 2014 को गिरफ्तार किया है। वो ज्योति हत्याकांड के सूत्रधार पीयूष श्यामदसानी की माशूका और
पान मसाला कारोबारी हरीश मखीजा की बेटी है। सीनियर एडवोकेट कमलेश पाठक उसकी पैरवी कर रहे थे। उन्होंने पहले कत्ल के केस में मनीषा की बेल अर्जी दाखिल की थी। जिसे सीएमएम और फिर जिलाजज खारिज कर
दिया था। इसके बाद परिजनों ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने कड़ी बहस सुनने के बाद मनीषा को सशर्त बेल दे दी। जिसके बाद एडवोकेट कमलेश ने फर्जी सिम के केस में बेल अर्जी दाखिल कर
बहस की। मंडे को कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस को सुनने के बाद बेल मंजूर कर ली। जिससे 326 दिन बाद उसका रिहाई का रास्ता साफ हो पाया। मनीषा की बेल में चला अफवाहों का 'खेल' ज्योति
हत्याकांड के हर पहलू को आई नेक्स्ट सामने लाया है। आई नेक्स्ट ने हत्यारोपी मनीषा की गिरफ्तारी, कत्ल में उसकी भूमिका, बेल अर्जी से लेकर हर पहलू को प्रमुखता से छाप चुका है। आई नेक्स्ट एक और
खुलासा कर रहा है कि मनीषा की बेल में मीडिया को भ्रमित करने के लिए अफवाहों का भी 'खेल' चलाया गया, ताकि हत्यारोपी मनीषा को पैरवी में फायदा मिल सकें। पहली अफवाह ज्योति के कत्ल के केस
में मनीषा की हाईकोर्ट में बेल खारिज होने की उड़ाई गई। इसके बाद हाईकोर्ट से मनीषा की बेल मंजूर होने की अफवाह उड़ाई गई। पहले तो लोगों इसे भी झूठ समझे, लेकिन हाईकोर्ट का आर्डर आने से सच्चाई का
पता चल गया। इसके बाद फर्जी सिम के केस में मनीषा की पहले बेल खारिज और फिर बेल होने की अफवाह उड़ाई गई। सोमवार को मनीषा की बेल पर सुनवाई हुई तो पहले ये अफवाह उड़ाई गई कि कोर्ट ने बहस सुनने के
बाद फैसला रिजर्व कर लिया है। अब 4 जुलाई को कोर्ट निर्णय देगी, लेकिन शाम को अचानक उसकी बेल का आर्डर जारी होने से उसकी अफवाहों में विराम लग गया। जेल में भी विवादों से घिरी से रही मनीषा पुलिस
ने हत्यारोपी मनीषा को जेल भेजा तो वो जेल प्रशासन के लिए मुसीबत बन गई। पहले महीने तो मनीषा को जेल में बमुश्किल ही नींद आई। उसको फट्टे पर नींद नहीं आती थी। जब वो गिरफ्तार हुई थी तो उसके पैर
में चोट लगी थी। उसने जेल प्रशासन से इंग्लिश कमोड लगाने के लिए कहा तो जेल प्रशासन राजी हो गया। उसको जेल में विशेष सहुलियत दी जा रही थी। आई नेक्स्ट ने इसका भी खुलासा किया था। जिसे संज्ञान में
लेते हुए डीएम ने जेल छापा मारा तो मनीषा के पास से पिज्जा, बरगर समेत अन्य सामान बरामद हुआ था। महिला बंदियों ने डीएम को सच्चाई बताते हुए कहा कि मनीषा के लिए जेल से बाहर का खाना आता था। उससे
कोई काम नहीं कराया जाता है। उसके लिए तो एक महिला बंदी भी लगाई गई थी जो उसकी हर डिमाण्ड पूरी करती थी। इसके अलावा अन्य छापों में भी मनीषा के पास से लग्जरी सामान बरामद हुआ था। जिससे वो जेल की
वीआईपी महिला बन्दी गई थी। जेल के जानकार लोगों के मुताबिक इससे पहले किसी महिला बन्दी की इतनी सुविधाएं नहीं दी गई। जितनी इसको दी गई। आसान नहीं होगी जेल के बाहर की जिन्दगी कोर्ट से भले ही मनीषा
को बेल मिल गई है, लेकिन उसके लिए बाहरी जिन्दगी बेहद मुश्किल होगी। वो पहले क्लब और लेट नाइट पार्टी में जाती थी, लेकिन अब उनके लिए लेट नाइट पार्टी समेत अन्य प्रोग्राम में बहुत ही मुश्किल
होगा। उसके घिनौने कृत्य से नाराज कई समाजिक संगठन उसका तिरस्कार कर चुके है। वे उसको पार्टी में शामिल नहीं होने देंगे। कानपुर यूथ क्लब के प्रेसीडेंट अजय मेहरोत्रा का कहना है कि अगर उसको किसी
भी पार्टी में बुलाया गया तो उनके क्लब का कोई सदस्य उस पार्टी में नहीं जाएगा। यहीं कहना है कि स्नेहा महिला मण्डल की प्रेसीडेंट सुनीता वर्मा का। अभी एक से दो दिन और जेल में गुजारने होंगे
जिलाजज अरुण कुमार गुप्ता ने मनीषा को 50-50 हजार रुपए के दो बेल बांड पर जमानत दी है। मनीषा के परिजनों ने बेल बांड भी दाखिल कर दिया है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता अहमद अली ने बताया कि 25 हजार से
ज्यादा के बेल बांड होने पर जामींदार का वैरीफिकेशन होता है। मनीषा के जामींदारों के वैरीफिकेशन में एक से दो दिन टाइम लग सकता है। इसलिए अभी मनीषा को अभी जेल में रहना होगा। जामींदारों का
वैरीफिकेशन के बाद ही उसका रिहाई परवाना जेल भेजा जाएगा। तो हो जाएगी मनीषा की बेल खारिज हत्यारोपी मनीषा को ज्योति के कत्ल में हाईकोर्ट से सशर्त बेल दी है। एडवोकेट दामोदर मिश्रा के मुताबिक
हाईकोर्ट ने कड़ी शर्त लगाई है। जिसका उल्लघंन करने से मनीषा की बेल खारिज हो सकती है। हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक ये है शर्ते - मनीषा को जमानत पर रिहा होने के बाद हर तारीख पर कोर्ट में मौजूद
रहना पड़ेगा। - अगर वो कोर्ट में हाजिरी माफी दाखिल करती है तो उसे मुकदमे की पत्रावली में दर्ज किया जाएगा - महीने के पहले सप्ताह के पहले दिन संबंधित थाने में हाजिरी दर्ज करानी होगी। यह हाजिरी
थाने की जीडी में दर्ज होगी। थाना प्रभारी कोर्ट में जीडी पेश करेंगे। अगर वो थाने में हाजिरी नहीं दर्ज कराती है तो प्रभारी निरीक्षक अगले दिन कोर्ट को अवगत कराएंगे - मनीषा को अपना पासपोर्ट
कोर्ट में जमा करना होगा - मुकदमे के ट्रायल के दौरान मनीषा देश को छोड़कर नहीं जा सकती है। मुकदमे के ट्रायल में नहीं मिलेगा फायदा हत्यारोपी मनीषा को भले ही जमानत मिल गई है, लेकिन उसको मुकदमे
के ट्रायल में जमानत का फायदा नहीं मिलेगा। सीनियर एडवोकेट्स के मुताबिक हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि इस जमानत के गुण दोष को जिला कोर्ट मुकदमे के ट्रायल में संज्ञान में नहीं लिया जाएगा, यानि
मुकदमे के ट्रायल में ये नहीं देखा जाएगा कि हत्यारोपी मनीषा जमानत पर रिहा है।
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